बिना COA पंजीयन वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला
बिलासपुर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (IIA) बिलासपुर सेंटर ने शहर में “आर्किटेक्ट” टाइटल के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इस संबंध में गुरुवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए संस्था की अध्यक्ष आर्किटेक्ट नीना असीम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब इस तरह की ग़ैरक़ानूनी प्रथा को और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आर्किटेक्ट एक्ट 1972 के अनुसार, भारत में केवल वही व्यक्ति या फर्म “आर्किटेक्ट” की उपाधि का प्रयोग कर सकते हैं जो काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (COA) से विधिवत रूप से पंजीकृत हों। बिना पंजीकरण के इस उपाधि का प्रयोग करना कानूनन अपराध है, जिसके लिए सजा और जुर्माने का स्पष्ट प्रावधान है। राज्य अध्यक्ष सौरभ राहटगांवकर,राष्ट्रीय प्रतिनिधि राज प्रजापति,पूर्व अध्यक्ष देबाशीष घटक के अलावा आर्किटेक्ट श्याम शुक्ला,निर्मल अग्रवाल ने संयुक्त रूप से कहा कि शहर में कई ऐसे भवन निर्माण सलाहकार, डिज़ाइन फर्म और व्यक्ति हैं, जो अपने लेटरहेड्स, साइनबोर्ड, सोशल मीडिया और विज्ञापन में “आर्किटेक्ट” टाइटल का ग़लत ढंग से प्रयोग कर रहे हैं, जबकि वे COA से पंजीकृत नहीं हैं। यह न केवल ग़लत है बल्कि उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाला भी है।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, जो हो गया सो हो गया, लेकिन अब आगे इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी व्यक्ति या फर्म COA से पंजीकृत नहीं हैं, वे तुरंत ‘आर्किटेक्ट’ टाइटल का उपयोग बंद करें, अन्यथा उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।
संस्था ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 2017 के निर्णय के अनुसार, COA से पंजीकृत आर्किटेक्ट को देश के किसी भी राज्य या नगर निकाय में अलग से कोई स्थानीय पंजीकरण या लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। वे केवल अपने नक्शों पर COA रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित करें, यही पर्याप्त है।
IIA बिलासपुर सेंटर ने निर्णय लिया है कि अब संस्था का कोई भी सदस्य नगर निगम या किसी अन्य स्थानीय संस्था से अलग से पंजीकरण नहीं कराएगा। इस संबंध में पूर्व में निगम प्रशासन को प्रतिवेदन सौंपा जा चुका है और शीघ्र ही एक प्रतिनिधिमंडल निगम अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें पुनः अवगत कराएगा।
संस्था ने शहरवासियों से भी अपील की है कि भवन निर्माण के लिए केवल अधिकृत और COA पंजीकृत आर्किटेक्ट्स की सेवाएं लें, जिससे गुणवत्ता और वैधानिकता दोनों सुनिश्चित हो सकें।