महात्मा श्री राम भिक्षुक धर्म जागरण सेवा समिति कराएगी भव्य आयोजन, भक्तिमय माहौल में उमड़ेगी आस्था की गंगा

बिलासपुर आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम इस बार मौनी अमावस्या महापर्व (18 जनवरी 2026, रविवार) को देखने को मिलेगा। इस पावन अवसर पर महात्मा श्री राम भिक्षुक धर्म जागरण सेवा समिति द्वारा 1108 पार्थिव शिवलिंग महारूद्राभिषेक का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन साइंस कॉलेज ग्राउंड, सरकंडा में संपन्न होगा।

कार्यक्रम का यह शानदार तीसरा वर्ष है, जो शहर की धार्मिक पहचान और आध्यात्मिक संस्कृति को नई ऊंचाई दे रहा है। आयोजन की जानकारी गुरुवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दी गई। इस अवसर पर समिति के प्रमुख संरक्षक डॉ. विनोद तिवारी, डॉ. ओम माखिजा, जवाहर सराफ, श्रीमती अपर्णा दास, श्रीमती जयश्री शुक्ला, डॉ. प्रदीप शुक्ला, अरुण सिंह चौहान, सुधांशु मिश्रा, राजा शर्मा सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

पत्रकारवार्ता में जानकारी देते हुए डॉ. विनोद तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में धर्म, संस्कार और समरसता की भावना को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष इस आयोजन के माध्यम से लोगों को भक्ति, सेवा और सामाजिक एकता के प्रति जागरूक किया जाता है। भजन, कथा, प्रवचन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से वातावरण भक्तिमय बन जाता है, जिससे लोगों में सकारात्मक ऊर्जा और आस्था का संचार होता है।

पोस्टर विमोचन से हुई शुभ शुरुआत

प्रेसवार्ता के दौरान कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन भी किया गया। पोस्टर में कार्यक्रम की तिथि, स्थल और आयोजन की विस्तृत जानकारी दी गई है।

समिति के सदस्यों ने बताया कि इस भव्य आयोजन के लिए व्यापक तैयारियाँ चल रही हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ग्राउंड पर पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि समाज में भक्ति, शांति और सद्भाव की भावना फैलाना है।

भक्ति में एकता, समाज में जागृति का संदेश

शहर के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को नई दिशा देने वाला यह कार्यक्रम अब अपनी पहचान बन चुका है। कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रदीप शुक्ला का कहना है कि “यह कार्यक्रम न केवल शहर की शोभा बढ़ा रहा है, बल्कि समाज में धार्मिक चेतना और सकारात्मकता का संचार भी कर रहा है।” डॉ. शुक्ला का मानना है कि “धर्म केवल पूजा या अनुष्ठान का विषय नहीं, बल्कि यह जीवन को सही दिशा देने का माध्यम है। जब व्यक्ति अपने भीतर भक्ति और नैतिकता को जागृत करता है, तब समाज में भी शांति और सद्भाव का विस्तार होता है।”

या कार्यक्रम समाज को भक्तिमय माहौल आत्मा को शांति और मन को स्थिरता प्रदान करता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी इसमें भाग लेकर अपने भीतर की आस्था को नए रूप में अनुभव करते हैं।

निस्संदेह, ऐसे आयोजनों से न केवल शहर की सांस्कृतिक छवि निखरती है, बल्कि समाज में धर्म, सेवा और एकता की भावना भी मजबूत होती है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि भक्ति और संस्कृति जब एक साथ चलती हैं, तो समाज में नवचेतना का संचार अवश्य होता है।

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