बिलासपुर लिंगियाडीह स्थित दुर्गा नगर वार्ड क्रमांक 52 में नगर निगम के द्वारा गरीबों के मकान तोड़ने की कार्रवाई को लेकर विवाद अब गहराने लगा है। इस करवाई के प्रभावित नागरिकों ने कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के नेतृत्व में कलेक्टर को गुरुवार को ज्ञापन सौंपकर तत्काल हस्तक्षेप और निष्पक्ष जांच की मांग की है। यहां निवासियों का कहना है कि वे दशकों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और बार-बार की तोड़फोड़ कार्रवाई ने उनके जीवन को अस्थिर बना दिया है।

इस करवाई को लेकर स्थानीय निवासियों का दावा है कि वे पिछले 50 वर्षों से लिंगियाडीह क्षेत्र में रहते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाए हैं, जिन पर अब निगम का बुलडोजर चल रहा है। निवासियों के अनुसार, यह भूमि (लगभग 2.46 एकड़) पहले ही आबादी भूमि घोषित की जा चुकी थी। लोगों ने बताया कि 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया था कि निगम की भूमि पर बसे नागरिकों को पट्टा दिया जाएगा।

भूमि का सर्वे हुआ, अतिरिक्त तहसीलदार ने पट्टाधारियों की सूची तैयार की, और लोगों ने 10 रु. प्रति वर्गफुट के हिसाब से प्रीमियम राशि भी निगम को जमा की। इसके बावजूद, न तो उन्हें स्थायी पट्टा मिला और न ही सुरक्षा की गारंटी। उल्टे अब निगम तोड़फोड़ की कार्रवाई कर रहा है। निवासियों का आरोप है कि नगर निगम अब तक 113 मकानों को तोड़ चुका है, और हाल में पार्क और कॉम्प्लेक्स बनाने के नाम पर नई कार्रवाई शुरू की गई है। लगभग चार माह पूर्व सड़क चौड़ीकरण के नाम पर भी 150 से अधिक मकान और दुकानें तोड़ी गई थीं, लेकिन उस स्थल पर आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। इन कार्रवाइयों से गरीब परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई लोग आज भी अस्थायी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन हर कुछ महीनों में नए नाम से कार्रवाई करता है। कभी सड़क चौड़ीकरण, कभी नाली निर्माण, कभी कॉम्प्लेक्स या पार्क विकास। इससे पूरे क्षेत्र में असमंजस और भय का माहौल बना हुआ है।

ज्ञापन में निवासियों ने जिलाधीश से दो प्रमुख मांगें रखी हैं। पहले प्रस्तावित मकान तोड़ने की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई जाए। पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और निर्दोष गरीब परिवारों को राहत मिल सके।

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