Trending Now

बिलासपुर. शहर का भू जल स्तर रसातल की ओर बढ़ने लगा है. अत्यधिक दोहन और बारिश का पानी जमीन तक नहीं पहुंचने से बिलासपुर शहर की स्थिति खराब हो रही है. भीषण गर्मी में जिले के कुछ विकासखंड और पंचायतो का तो ये हाल रहा है कि यहा खतरे के निशान से ऊपर लेबल पहुंच गया था. अब भी इसके दोहन को रोकने शासकीय रूप से कोई करवाई नही की गई तो शहर आने वाले वर्षो में तरसेगा. जिले में जल संकट का खतरा मंडराने लगा है. शहर में पानी सप्लाई बोरिंग और टंकी के माध्यम से किया जाता है. पानी के खतरे का जनता को अहसास ही नही है, लेकिन ग्रामीण इलाको के हैंडपंप सूखने से बोरिंग से पानी कम निकलने लगा लगा है. गहराते जल संकट को लेकर भू वैज्ञानिक चेतावनी भी देने लगे है, लेकिन उनकी चेतावनी का जनता पर न असर दिख रहा है और न ही प्रशासन इसके लिए गंभीर है. ऐसे ही स्थिति रही तो बिलासपुर के लोग पीने के पानी के लिए आने वाले समय में तरसने को मजबूर हो जायेंगे.

बिलासपुर. आधुनिकता और शहरी विकास में जहां एक ओर प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है, वही भूजल स्तर को भी गहरी चोट पहुंच रहा है. शहरी क्षेत्र में लगातार मकान तैयार होने के साथ ही सड़कों और नालियों को कंक्रीट किया जा रहा है, जिसकी वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं पहुंच रहा है. यही कारण है कि भूजल स्तर रसातल की ओर बढ़ना शुरू हो गया है. बारिश के दिनों में पानी सड़कों से नाली और नाली से नदी के साथ समुद्र में पहुंच रहा है और जमीन को यह पानी मिल नहीं पा रहा है. यही वजह है कि भूजल संकट का खतरा लाल निशान से भी ऊपर पहुंचने लगा है. बिलासपुर के भू वैज्ञानिक बार-बार जनता के साथ प्रशासन को आगाह कर रहे हैं. जमीन के पानी का रिचार्ज नहीं हो पा रहा है और जो पानी है उसका दुरुपयोग हो रहा है. यही वजह है कि बिलासपुर जिले के बिल्हा, मस्तूरी विकास खंड में जलस्तर 400 से 500 फीट नीचे चला गया है और लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. हैंडपंप सूखने लगे हैं. बोरिंग से पानी कम आ रहा है, यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ सालों में बिलासपुर जिले में पानी की किल्लत इतनी बढ़ जाएगी की इसे पूरा कर पाने में कोई भी मददगार साबित नहीं हो पाएगा.

भू जल के दोहन के मुकाबले पूर्ति हो रही कम: परते

इस मामले में संभागीय अधिकारी भू जल अनुसंधान विभाग भू जल वैज्ञानिक सचिन परते का कहना है कि 12 माह हरी सब्जी की मांग पर किसान साल में सब्जी की तीन फसल लेते हैं. बारह माह सब्जी लेने ट्यूबवेल से पानी खींचना. बारिश का पानी पर्याप्त रूप से जमीन में नहीं जाने से ग्राउंड वाटर का रिचार्ज नहीं होना, शहरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही बोरिंग से भी वाटर लेवल में लगातार कमी हो रही है. जानकारों के मुताबिक़ गिरते जल स्तर का मुख्य कारण यह है कि पहले तालाब जगह जगह हुआ करता था लेकिन अब तालाबों का अस्तित्व खत्म हो रहा है. पिछले दो साल में फैक्ट्रीयां, इंडस्ट्रीज और छोटे छोटे उद्योग में पानी के लिए बोरिंग होना पानी का दुरुपयोग बढ़ा दिया है, जिसके कारण वाटर लेवल 3 से 5 सौ फिट नीचे चला गया है. धरातल से 20 से 21 मीटर में ही पानी मिल जा रहा था, वाटर लेवल 400 फिट नीचे तक पहुंच गया है. पिछले कुछ सालों में भुज अल का दोहन जितना बड़ा है उतना इसकी पूर्ति नहीं हो रही है.

वर्जन सचिन पराते, संभागीय अधिकारी भू जल अनुसंधान विभाग

भू जल का कहा कितना गिरा स्तर

पहले खतरे के निशान तक पहुंचने के बाद ऊपर पहुंचने की स्थिति

2024 जनवरी से मार्च तक गिरता जल स्तर

बिल्हा – वर्ष 2024

जनवरी 14.8। मीटर
फरवरी 20.21 मीटर
मार्च 25.3 मीटर

रतनपुर – वर्ष 2024

जनवरी 12.62 मीटर
फरवरी 14.15 मीटर
मार्च 15.82 मीटर

काठकोनी – वर्ष 2024

जनवरी 5.38 मीटर
फरवरी 7.06 मीटर
मार्च 9.22 मीटर

तिफरा – वर्ष 2024

जनवरी 9.33 मीटर
फरवरी 14.4 मीटर
मार्च 22.14 मीटर

सीपत – वर्ष 2024

जनवरी 8.69 मीटर
फरवरी 8.93 मीटर
मार्च 9.22 मीटर

तखतपुर – वर्ष 2024

जनवरी 6.88 मीटर
फरवरी 13.2 मीटर
मार्च 22.25 मीटर

मस्तूरी – वर्ष 2024

जनवरी 5.7 मीटर
फरवरी 6.08 मीटर
मार्च 7.55 मीटर

कोटा – वर्ष 2024

जनवरी 3.4 मीटर
फरवरी 5.15 मीटर
मार्च 7.12 मीटर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!