बिलासपुर चांदीपुरा वायरस इस समय डराने लगा है। इस वायरस से छोटे बच्चों की मौत भी होने की आशंका जताई जा रही है। दरअसल यह वायरस इस समय गुजरात के कुछ इलाकों में फैला हुआ है, जिसमें 12 साल से कम उम्र के बच्चों की वायरस से ग्रसित होने पर मौत हो सकती है। फिलहाल इस वायरस का एंटीडोट तैयार नहीं हो पाया है, इसके अलावा इसके बचाव से ही इसके प्रकोप से बचा जा सकता है। जानकारी के अनुसार यह बीमारी एक खास मक्खी की वजह से फैलती है जिसे सैंड फ्लाई कहते हैं। चांदीपुरा वायरस के विषय में पूरी जानकारी और इसके बचाव के लिए पढ़े पूरी रिपोर्ट।
बिलासपुर गुजरात के कुछ इलाकों में चंदीपुरा वायरस के फैलने की बात सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक आशंका जताई जा रही है कि इस वायरस की वजह से 16 बच्चों की मौत हो चुकी है, हालांकि सीधे तौर पर यह नहीं कहा जा रहा है कि यह वायरस किस तरह से मौत का कारण बनता है, लेकिन बच्चों में जो सिम्टम्स देखे गए उसके अनुसार कयास लगाए जा रहे हैं कि बच्चों की मौत कैसे हो सकती है। दरअसल चांदीपुरा वायरस एक वेक्टर जनित बीमारी है और यह खास किस्म की मक्खी के माध्यम से फैलता है। यह मक्खी सामान्य मक्खी की तुलना में आकर में छोटी होती है और यही चांदीपुर वायरस की वाहक होती है।
ये मक्खी कहा और कैसे होती है
चांदीपुरा वायरस ने जहां देश के एक राज्य में अपना भय कायम कर लिया है, वही इससे मौत होने की भी बात कही जा रही है। चांदीपुरा वायरस एक किस्म का वायरस होता है जो मक्खी के माध्यम से फैलता है। यह मक्खी सामान्य मक्खी से अलग होती है। इसका आकार सामान्य मक्खी की तुलना में छोटा होता है और यह मक्खी घरों की दीवारों के दरारों में, कच्चे मकान की दीवारों की दरारों पर यह मक्खी पनपत्ति है, जिन घरों में मिट्टी से या गोबर से लिपाई होती है। वहां यह मक्खी के पनपना की आशंका प्रबल होती है। यह मक्खी सामान्य मक्खी की तुलना में चार गुना छोटी होती है। यह नमी युक्त वातावरण में पनपती और बढ़ती है। यह मक्खी चांदीपुरा वायरस की आसान वाहक होती है।
बीमारी के लक्षण और कैसे करे बचाव
तेज बुखार, दस्त, उल्टी आना , नींद न आना और बेहोशी। कांचीपुरा वायरस में बच्चा कोमा में भी जा सकता है, इससे चमड़ी में धब्बे भी पढ़ते हैं, साथ ही बच्चों की मौत भी हो सकती है। यह वायरस जून से लेकर अक्तूबर तक सक्रिय रहता है। इस वायरस से 14 साल तक के बच्चे ग्रसित होते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। इन बच्चों में सामान्य लक्षण बताए गए लक्षण जैसे होते हैं। आमतौर से इस बीमारी के लक्षण कुछ इस प्रकार है। तेज बुखार, दस्त, उल्टी आना, शक्ति नींद ना आना और बेहोशी और कुछ घंटे के बाद संक्रमित बच्चा कोमा में भी जा सकता है। इन लक्षणों के अलावा चमड़ी पर धब्बे भी पड़ जाते हैं। डॉक्टर के मुताबिक इस वायरस से होने वाली बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, केवल लक्षणों का ही इलाज हो पा रहा है और अभी तक इसके लिए वैक्सीन भी नहीं बनी है।
अब आप यह समझिए कि इससे बचाव कैसे कर सकते हैं
घरों और आसपास के इलाके में साफ सफाई रखें। कूड़ा कचरा दूर रखें। दीवारों में आई दरार और छोटे गड्ढों को जल्द से जल्द ठीक करें। कमरे के अंदर सूरज की रोशनी लाने का प्रबंध करें। बच्चों को मच्छरदानी में सुलाने का प्रबंध करें, अगर हो सके तो बच्चों को धूल में खुले में खेलने से रोक। ताजा पका भोजन खिलाए।