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बिलासपुर पुलिस लाइन में मजार के सामने पुलिस विभाग द्वारा बैरक निर्माण कार्य जा रहा है। इस निर्माण को लेकर मजार इंतजामिया कमेटी ने निर्माण रोकने को लेकर हाइकोर्ट में याचिका पेश की थी। इस याचिका में निर्माण पर रोक लगाने की मांग की थी जिसे हाइकोर्ट ने इनकार कर कर दिया। मामले में कोर्ट ने पहले किए अवलोकन कर जांच प्रतिवेदन तैयार की गई थी जिसे देखकर जांच प्रतिवेदन के अनुसार उक्त जमीन जिस पर इंतजामिया कमेटी दावा कर रही है वह नजूल शीट की रिकॉर्ड में पुलिस लाईन पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट के नाम से दर्ज है। इसके अलावा मदार शाह बाबा दरगाह के लोगो और इंतजामिया कमेटी की ओर से कभी भी उन्हें पुलिस लाईन की जमीन आबंटित होने का कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किया गया है।

अदालत ने सुनवाई में यह भी पूछा था कि कंस्ट्रक्शन से मुस्लिम समाज को क्या कोई दिक्कत हो सकती है। जिसमें कलेक्टर के एफिडेविट में स्पष्ट किया गया है कि निर्माण से मजार में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। निर्माण के बाद खाली बची जगह में पूर्ववत मुस्लिम समाज उपयोग कर सकता है। शासन के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उक्त जमीन भी पुलिस विभाग की है, फिर धार्मिक आस्था को सम्मान देते हुए खाली जगह पर दरगाह के पूर्व की तरह संचालन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। बिलासपुर कलेक्टर के शपथ पत्र से स्पष्ट है कि मजार के पास 19 से 22 मीटर चौड़ा और 50 मीटर लंबा जगह खाली है। इसमें साढ़े चार मीटर का रोड़ है। जो निर्माण के बाद भी खाली रहेगा, जिससे कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा पुलिस विभाग की जमीन को उर्स समेत अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए बकायदा विधिवत अनुमति दी जाती है। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि सारी स्थितियों को स्पष्ट करने के लिए ही हमने बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित करते हुए एफिडेविट मांगा था। बिलासपुर कलेक्टर के द्वारा प्रस्तुत एफिडेविट हमें सही लग रहा है, लिहाजा हम निर्माण कार्य पर स्टे देने के पक्ष में नहीं है। यदि कलेक्टर के शपथ पत्र में याचिकाकर्ता को कोई गलती या गलत तथ्य नजर आता है तो वे अगली सुनवाई में रिजवाइंडर पेश कर सकता है, फिलहाल निर्माण पर कोई स्टे नहीं दिया जाएगा। इंतजामिया कमेटी ने उक्त संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने की मांग भी की।

जांच टीम ने मौके का निरीक्षण कर और रिकॉर्ड का अवलोकन कर जांच प्रतिवेदन तैयार की है। जांच प्रतिवेदन के अनुसार उक्त जमीन जिस पर इंतजामिया कमेटी दावा कर रही है वह नजूल शीट की रिकॉर्ड में पुलिस लाईन पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट के नाम से दर्ज है। इसके अलावा  मदार शाह बाबा दरगाह के लोगो और  इंतजामिया कमेटी की ओर से कभी भी उन्हें पुलिस लाईन की जमीन आबंटित होने का कोई  दस्तावेज पेश नहीं किया गया है।

अदालत ने यह भी पूछा था कि कंस्ट्रक्शन से मुस्लिम समाज को क्या कोई दिक्कत हो सकती है। जिसमें कलेक्टर के एफिडेविट में स्पष्ट किया गया है कि निर्माण से मजार में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। निर्माण के बाद खाली बची जगह में पूर्ववत मुस्लिम समाज उपयोग कर सकता है। शासन के अधिवक्ता ने बताया कि उक्त जमीन भी पुलिस विभाग की है पर फिर धार्मिक आस्था को सम्मान देते हुए खाली जगह पर दरगाह के पूर्व की तरह संचालन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। बिलासपुर कलेक्टर के शपथ पत्र से स्पष्ट है कि मजार के पास 19 से 22 मीटर चौड़ा और 50 मीटर लंबा जगह खाली है। इसमें साढ़े चार मीटर का रोड़ है। जो निर्माण के बाद भी खाली रहेगा जिससे कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा पुलिस विभाग की जमीन को उर्स समेत अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए बकायदा विधिवत अनुमति दी जाती है। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि सारी स्थितियों को स्पष्ट करने के लिए ही हमने बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित करते हुए एफिडेविट मांगा था। बिलासपुर कलेक्टर के द्वारा प्रस्तुत एफिडेविट हमें सही लग रहा है, लिहाजा हम निर्माण कार्य पर स्टे देने के पक्ष में नहीं है।

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