बिलासपुर   छत्तीसगढ़ कुर्मी क्षत्रिय चेतना मंच इस वर्ष भारत रत्न लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती को सामाजिक एकता, संगठन और चेतना का पर्व बना रहा है। समाज के सर्वांगीण विकास को समर्पित यह आयोजन 09 नवंबर 2025, रविवार को पं. देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन, लाल बहादुर शास्त्री स्कूल प्रांगण, बिलासपुर में संपन्न होगा।

प्रेस क्लब बिलासपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में मंच के पदाधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम दो सत्रों में होगा। पहला सत्र प्रातः 10 बजे से प्रारंभ होगा, जिसमें नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण, संगठन प्रतिवेदन, राष्ट्रीय कुर्मी चेतना पंचांग 2026 का विमोचन, विचार गोष्ठी, प्रतिभा सम्मान एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी।

प्रेस वार्ता में छत्तीसगढ़ कुर्मी क्षत्रिय चेतना मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कौशिक, प्रदेश महासचिव अनिल कुमार वर्मा, निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कुमार गहवई, प्रदेश सचिव देवनारायण कश्यप, प्रांतीय कोषाध्यक्ष ईश्वरीय लाल चंद्राकर, प्रांतीय उपाध्यक्ष माला चंद्राकर, प्रांतीय महासचिव महिला प्रकोष्ठ सुमन कौशिक, प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य ऋषि कश्यप, अशोक कौशिक, जिलाध्यक युवा प्रकोष्ठ यज्ञेश कौशिक, सलाहकार पूना राम कश्यप मौजूद रहे।

इस सत्र के मुख्य अतिथि अमर अग्रवाल (विधायक, बिलासपुर) होंगे, जबकि अध्यक्षता कुर्मी व्यास नारायण कश्यप (विधायक, जांजगीर-चांपा) करेंगे। विशिष्ट अतिथियों में कुर्मी मुकेश वर्मा, डॉ. जितेन्द्र सिंगरौल, सियाराम कौशिक, ममता मनोज चंद्राकर, ललिता संतोष कश्यप, प्रवीण वर्मा, लक्ष्मी प्रसाद वर्मा, एवं डॉ. संतोष कौशिक शामिल रहेंगे।

दूसरा सत्र दोपहर 2 बजे से आरंभ होगा, जिसमें कुर्मी ध्वजगान, कुर्मी कृषि रत्न, साहित्य सम्मान, पुरोहित सम्मान, विशिष्ट प्रतिभा सम्मान सहित कई सामाजिक सम्मान वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा कुर्मी ओ.पी. चंद्रवंशी नायब तहसीलदार एवं कुर्मी लक्ष्मी वर्मा समाज के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन देंगे। दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि कुर्मी धरमलाल कौशिक (विधायक, बिल्हा) होंगे तथा अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप कौशिक करेंगे।

विशेष वक्ता पूर्व विधायक एवं अपेक्स बैंक अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर होंगे, वहीं विशिष्ट अतिथियों में नारायण चंदेल, लता ऋषि चंद्राकर, ललित बघेल, प्रमोद नायक, मोरध्वज चंद्राकर, डॉ. शारदा कश्यप एवं अजित चंद्रवंशी रहेंगे।

मुख्य समारोह के पूर्व बिलासपुर संभाग के 40 गाँवों में “पटेल जयंती पखवाड़ा” मनाया गया, जिसमें ग्रामीण स्वजातियों की व्यापक भागीदारी रही। समारोह की तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी हैं। पटेल जयंती समारोह के लिए चेतना मंच के संरक्षक सिद्धेश्वर पाटनवार, इंजी. लक्ष्मीकुमारी गहवई, डा. हेमंत कौशिक, बी. आर. कौशिक, डा. निर्मल नायक, डा. जितेन्द्र सिंगरौल, अध्यक्ष प्रदीप कौषिक, उपाध्यक्ष विश्वनाथ कश्यप, देवी चंद्राकर, माला चंद्राकर, महासचिव अनिल वर्मा, कोषाध्यक्ष ईश्वरी लाल चंद्राकर, संयोजक देवनारायण कश्यप,  सचिव सत्येन्द्र कौशिक, अशोक कौशिक, प्रदेश महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डा. शारदा कश्यप, महासचिव सुमन कौशिक, युवा प्रदेशाध्यक्ष चमन चंद्राकर, डा. गणेश कौशिक, सुरेश कौशिक, यज्ञेश कौशिक, जिला महिला अध्यक्ष ज्योति सिंगरौल एवं नगर अध्यक्ष स्वाति वर्मा के द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है।

चेतना मंच की भूमिका

18 अप्रैल 1993 को स्थापित छत्तीसगढ़ कुर्मी क्षत्रिय चेतना मंच का उद्देश्य समाज में एकता, जागरूकता और शिक्षा-संस्कृति का प्रसार करना है। मंच के संस्थापक प्रवर्तक स्वामी वेदानंद सरस्वती हैं। मंच लगातार सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन, बेरोजगारी निवारण, शैक्षणिक प्रोत्साहन, प्रतिभा सम्मान, और महापुरुषों की जयंती मनाने जैसे कार्यों में सक्रिय है।

एकता की डोर और सामाजिक चेतना का उत्सव

जब समाज अपने पुरखों की स्मृति में इकट्ठा होता है, तो वह केवल उत्सव नहीं मनाता — अपनी जड़ों से जुड़ने का संस्कार भी जगाता है। छत्तीसगढ़ कुर्मी क्षत्रिय चेतना मंच द्वारा आयोजित सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती इसी भावना का प्रतीक है। लौहपुरुष पटेल ने जिस राष्ट्रीय एकता और अखंड भारत का स्वप्न देखा था, वही विचार समाज के भीतर “संगठन और सशक्तिकरण” के रूप में जीवित है। आज जब सामाजिक संरचनाएँ बदल रही हैं, तब इस प्रकार के आयोजन समाज में सद्भाव, सहयोग और आत्मगौरव की भावना भरते हैं। चेतना मंच केवल कार्यक्रमों का आयोजक नहीं, बल्कि वह एक संवेदनशील सामाजिक प्रयोगशाला है — जहाँ शिक्षा, रोजगार, संस्कार और संस्कृति के सूत्र एक साथ जुड़ते हैं।

पटेल जयंती जैसे आयोजन नयी पीढ़ी को यह संदेश देते हैं कि सामाजिक उत्थान केवल शासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की सामूहिक प्रतिबद्धता है। संगठन के कार्यकर्ता जिस समर्पण से गाँव-गाँव में “पटेल जयंती पखवाड़ा” मना रहे हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि समाज में आत्मबल और चेतना दोनों जीवित हैं। यही चेतना आने वाले वर्षों में न केवल कुर्मी समाज, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की सामाजिक एकता की आधारशिला बनेगी।

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